Tuesday, November 22, 2011

मुर्गा बोला(भाग-२)


मुर्गा बोला -कुकडूँ कूँ-----
दुःखी ना हो
खुश हो जाओ तुम
कमी न रहे कुछ जीवन में
दौलत का अंबार लगाऊँगा
भारत की कौन कहे स्वीस बैंक में
खाता खुलवाऊँगा
तेरे नाम से चाँद पर प्लाट
बुक करवाऊँगा
दौलत की दुनियाँ में लिखवाऊँगा
स्वर्णाक्षरों में नाम तुम्हारा
मुर्गी रानी----मान भी जाओ
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?


मुर्गी बोली-----
मेरे जीवन धन तुम हो
मेरे प्रियतम तुम हो
भूलो मत----
धन से ,नक्काशीदार पलंग खरीद सकते हैं
नींद नहीं
छप्पन पकवान खरीद सकते हैं
भूख नहीं
सपने खरीद सकते हैं
स्वास्थ्य नहीं
नही चाहती मैं कि
धन के नशे में कदम तुम्हारा बहके
इतना ही हो दौलत मुझको
जिससे हमारे जीवन की बगिया महके
खुशी हो या गम हो
साथ हो एक दूजे का
प्यारे-प्यारे चूजे का
नहीं चाहिये प्लाट चाँद पर
न हीं दौलत की दुनियाँ में
लिखवाना है नाम हमारा
मुर्गे राजा मुझको चाहिये
केवल औ केवल साथ तुम्हारा।