बहुत मेहनत कर
अपने बगिया के पौधों की
की थी रखवाली .........
लम्बे इन्तजार के बाद ....
उसकी बगिया में कलियाँ ..
खिलखिलाई थी .....पर ....
पता नहीं कैसे,.......
विधंसी तूफान की नज़र ...
मालिन के खुशियों पर
पड़ गई ...
और ....मालिन उसके
झंझावातों में उलझ गई ....
हे छठी मैया ....अपनी ..
दृढ प्रतिज्ञ भक्तन से जाकर कहो ......
बाग़ के सारे सदस्य बेचैन है उसके बिना ...
तुम जीवन शक्ति बनकर बहो ....
सभी नतमस्तक हैं
उसकी जिद के आगे
बहुत देर हो गई .....
मेरी दीदी को कह दो ...
कब से सुबह हो गई ...
अब तो तुम जागो ....
हे छठी मैया .....
अगली छठ में
मैं भी तेरे पास आउंगी ......
मेरी दीदी को जगा दो ...
तुम्हे श्रद्धा के अर्घ चढ़ाऊँगी
तुम्हारी शक्ति से संवरते हैं ...
भक्तों के बिगड़े काज ....
विनती है ...छठी मैया ..
सुनो अर्ज हमारी आज,....
सुनो अर्ज हमारी आज .....
ब्लोगर साथियों ....आप भी मेरी दीदी के लिए दुआ कीजिये ....की वो जल्द ही स्वस्थ्य हो जाए ....