खुश रहो आबाद रहो
सदा कामना करुँगी
तुम्हारी बददिमागी का
सामना करुँगी ----
साज़िश कर जो चक्रव्यूह
तुमने रचा ----उसे ---
अपने बुलंद इरादों से
तोड़ दिया है ---
वो राह जो पहुँचती थी
तुम तक --उसे मैंने
कब का ----
छोड़ दिया है !
पद्मिनी टाइम्स में प्रकाशित मेरी एक रचना।